Research papers in National Journals: Recent submissions

  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2020)
    गोदावरी नदी मध्य एवं दक्षिणी प्रायद्वीपीय भरत की सबसे बडी नदी है। गोदावरी नदी का उद्गम, महाराष्ट्र के नासिक जिले में , समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर, अरब सागर के तट से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर त्रियम्बकेश्वर के ...
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2016)
    पृथ्वी पर महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में जल अत्यधिक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल का प्रयोग, सिंचाई, घरेलू उपयोगों, जल विद्युत उत्पादन, क्रीडा, नौकायन आदि विभिन्न उपयोगों हेतु किया जाता है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; अहमद, तनवीर (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2014)
    घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोगों के लिए जल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2015)
    भारतीय संविधान के अनुसार देश में जल का उपयोग राज्यों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। संविधान के अंतर्गत किसी राज्य विशेष में आने वाले जल संसाधनों के संबंध में कानून बनाने का पुर्णाधिकार संबन्धित राज्य को प्रदान किया गया है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2015)
    हिमालय विश्व के तीन प्रमुख नदी तंत्रो सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का संगम स्थल है। गंगा नदी जो भारत के लगभग एक तिहाई भौगोलिक क्षेत्र को सिंचित करती है , देश की एक प्रमुख एवं पवित्रम नदी है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; जैन, शरद कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2013)
    नदियों में पर्यावरण, पारिस्थितिकी, नदी अकारिकी, जलीय जीवन, प्रदूषण तथा सतही जल एवं रख रखाव की दृष्टि से पर्यावरणीय प्रवाह महत्वपूर्ण है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (CWC, 2005)
    पृथ्वी का तीन चौथाई क्षेत्र जलमग्न होने के कारण इसे नीले गृह के रूप में भी जाना जाता है, आकलन के अनुसार पृथ्वी पर उपलब्ध जल की कुल मात्रा 14 लाख घन किलोमीटर है।
  • अहमद, तनवीर; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; ठकुराल, एल. एन.; चौधरी, पल्लवी (National Institute of Hydrology, 2015)
    अंकीय ऊंचाई प्रतिदर्श आपदा प्रबंधन, जल विज्ञान एवं जल प्रबंधन, भू आकृति विज्ञान एवं शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • मिश्रा, सुरेन्द्र कुमार; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; पाण्डेय, आशीष; मोहनलाल; पाण्डे, आर. पी. (National Institute of Hydrology, 2015)
    राष्ट्रीय अभियांत्रिकी पुस्तिका (NEH-4) मृदा संरक्षण सेवा वक्र संख्या (SCS-CN) पद्धति जिसे प्रकृतिक संसाधन संरक्षण सेवा वक्र संख्या पद्धति के नाम से भी जाना जाता है, किसी दिये गए वर्षा घटक के लिए प्रत्यक्ष सतही अपवाह की ...
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; राठौर, देवेंद्र सिंह (National Institute of Hydrology, 2015)
    आद्र भूमि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण प्रकृतिक संसाधन है। जलविज्ञानीय प्रक्रम में अपनी विशिष्ट भूमिका के कारण आद्र भूमि का संरक्षण अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय है।
  • Sachan, Shikha; Thomas, T.; Singh, R. M. (New Delhi Publishers, 2018)
    In India agriculture system mainly depends upon rainfall for their survival. Rainfall analysis is essential for water resources planning and management. An attempt has been made to carrying out the probability analysis ...
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (National Institute of Hydrology, 2017)
    यद्यपि देश में जल संसाधनो की उपलाभध्ता
  • Agarwal, P. K. (IWRS, 2015)
    Water quality deterioration has serios implications for the supply of water for drinking, irrigation, industrial use and it simportant determinant of public health. The ganga river, largest river in India, occupies nearly ...
  • Goel, M. K.; Jain, S. K.; Kumar, Vijay; Sharma, Anupama (National Institute of Hydrology, 2004)
    Any plan related to inter-basin transfer of water from a water-surplus basin to a water-deficit basin has to take into account the water availability and demands under the present and future scenarios of water use. A ...
  • Goel, M. K.; Arora, Manohar; Rathore, D. S.; Mishra, P. K. (IWRS, 2018)
    Climate change and socio-economic and demographic changes have put unprecedented pressure on water resources, leading to uncertain supplies, increased demands and higher risks of extreme events like floods and droughts. ...
  • Goel, M. K.; Jain, Sanjay K. (MDPI, 2010)
    Reservoir management involves allocating available water among multiple uses and users, minimizing the risks of water shortages and flooding, and optimizing the beneficial use of water. However, a number of climate ...
  • Kumar, Dinesh; Thomas, T.; Singh, R. M. (Indian Association of Soil and Water Conservationists, 2018)
    Drought is a natural disastrous phenomenon that occurs due to the continuous reduction of rainfall over a short or a long period of time. A deficit in precipitation result in deficit of groundwater recharge, which leads ...
  • Kar, Saswat Kumar; Singh, R. M.; Thomas, T. (Indian Meteorological Department, 2018)
    The meteorological drought characteristics including onset, departure, duration, severity as well as intensity have been evaluated mainly for monsoon season at all the three rain gauge stations located in Dhasan basin. The ...
  • Kar, Saswat Kumar; Thomas, T.; Singh, R. M.; Patel, Lokesh (Current Science Association in collaboration with the Indian Academy of Sciences (India), 2018)
    The present study has integrated both spatially and temporally varying drought vulnerability factors to develop an integrated drought vulnerability map for Dhasan basin. A drought vulnerability index is used to classify ...
  • Kar, Saswat Kumar; Thomas, T.; Singh, R. M. (The Indian Society of Dryland Agriculture, 2016)
    The present study has been focussed to recognize and quantify the drought condition in Dhasan basin which falls in drought prone region of Bundelkhand (Madhya Pradesh). The area is under frequent occurrence of droughts ...

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