Research Papers: Recent submissions

  • Kumar, C. P. (Taylor & Francis, 1998)
    The theory for transient isothermal flow of water into nonswelling unsaturated soil has been developed to a large extent in terms of solutions of the non-linear Richards equation. In the field, the description of ...
  • Kumar, C. P.; Mittal, Sanjay (Taylor & Francis, 2010)
    Mathematical models of hydrologic and agricultural systems require knowledge of the relationships between soil moisture content (8), soil water pressure (h) and unsaturated hydraulic conductivity (K). To model the retention ...
  • Kumar, C. P. (AI Publications, 2020)
    This article presents an overview of hydrological studies undertaken and published by a Senior Scientist working at National Institute of Hydrology (A Government of India Society under Ministry of Jal Shakti), Roorkee - ...
  • शर्मा, मुकेश कुमार; शर्मा, बबीता; गोयल, राकेश; प्रसाद, बीना (सी.एस.आई.आर.-निस्केयर, 2014)
    दिन प्रतिदिन बढ़ते औद्योगीकरण तथा अधिक कृषि उत्पादन के लिए अंधाधुंध रसायनिक उर्वर्को एवं कीटनाशकों के प्रयोग से जल प्रदूषित होता जा रहा है।
  • सिंह, ओमकार; शर्मा, मुकेश कुमार; चौबे, वी. के.; सिंह, राजदेव (सी.एस.आई.आर., निस्केयर, 2013)
    जलविज्ञानीय अध्ययनों के लिए विभिन्न प्रकार की मृदाओं एवं भूमि उपयोगों की स्थिति में अंत:स्यंदन ज्ञान जरूरी है। अंत:स्यंदन दर मृदा में जल के प्रवेश कर सकने की अधिकतम दर को निर्धारित करती है।
  • जैन, शरद कुमार; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (सी.एस.आई.आर.- निस्केयर, 2016)
    जलाशय उपलब्ध संसाधनों को उपयोगी संसाधनों में परिवर्तित करने में सहायता करते हैं।जलाशय में एकत्रित जल का उपयोग जल शक्ति उत्पादन, सिंचाई, घरेलू उपयोग,नौकायन आदि विभिन्न उपयोगों के लिए किया जा सकता है।
  • त्यागी, जयवीर; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (सी.एस.आई.आर.-निस्केयर, 2016)
    वन आच्छादित क्षेत्र अक्सर अनेक वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। अतः सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्व्पूर्ण वहिर्वाह में से एक है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (2016)
    नदियां अपने प्रवाह के साथ विशाल मात्र में अवसाद भार को बहा कर लाती हैं। इन नदियों के मार्ग में नदी घाटी परियोजनाएँ निर्मित की गयी हैं, जिनकी क्षमता नदी द्वारा बहा कर लाये जाने वाले अवसाद की दर पर निर्भर करती है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2020)
    गोदावरी नदी मध्य एवं दक्षिणी प्रायद्वीपीय भरत की सबसे बडी नदी है। गोदावरी नदी का उद्गम, महाराष्ट्र के नासिक जिले में , समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर, अरब सागर के तट से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर त्रियम्बकेश्वर के ...
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; गोयल, एम. के. (नेशनल वॉटर डेव्लपमेंट एजन्सि (NWDA), 2019)
    घरेलू उपयोगों, खाद्यान उत्पादन एवं औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोगो के लिए जल अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2016)
    पृथ्वी पर महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में जल अत्यधिक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल का प्रयोग, सिंचाई, घरेलू उपयोगों, जल विद्युत उत्पादन, क्रीडा, नौकायन आदि विभिन्न उपयोगों हेतु किया जाता है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; अहमद, तनवीर (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2014)
    घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोगों के लिए जल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2015)
    भारतीय संविधान के अनुसार देश में जल का उपयोग राज्यों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। संविधान के अंतर्गत किसी राज्य विशेष में आने वाले जल संसाधनों के संबंध में कानून बनाने का पुर्णाधिकार संबन्धित राज्य को प्रदान किया गया है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2015)
    हिमालय विश्व के तीन प्रमुख नदी तंत्रो सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का संगम स्थल है। गंगा नदी जो भारत के लगभग एक तिहाई भौगोलिक क्षेत्र को सिंचित करती है , देश की एक प्रमुख एवं पवित्रम नदी है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; जैन, शरद कुमार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, 2013)
    नदियों में पर्यावरण, पारिस्थितिकी, नदी अकारिकी, जलीय जीवन, प्रदूषण तथा सतही जल एवं रख रखाव की दृष्टि से पर्यावरणीय प्रवाह महत्वपूर्ण है।
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार (CWC, 2005)
    पृथ्वी का तीन चौथाई क्षेत्र जलमग्न होने के कारण इसे नीले गृह के रूप में भी जाना जाता है, आकलन के अनुसार पृथ्वी पर उपलब्ध जल की कुल मात्रा 14 लाख घन किलोमीटर है।
  • अहमद, तनवीर; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; ठकुराल, एल. एन.; चौधरी, पल्लवी (National Institute of Hydrology, 2015)
    अंकीय ऊंचाई प्रतिदर्श आपदा प्रबंधन, जल विज्ञान एवं जल प्रबंधन, भू आकृति विज्ञान एवं शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • मिश्रा, सुरेन्द्र कुमार; अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; पाण्डेय, आशीष; मोहनलाल; पाण्डे, आर. पी. (National Institute of Hydrology, 2015)
    राष्ट्रीय अभियांत्रिकी पुस्तिका (NEH-4) मृदा संरक्षण सेवा वक्र संख्या (SCS-CN) पद्धति जिसे प्रकृतिक संसाधन संरक्षण सेवा वक्र संख्या पद्धति के नाम से भी जाना जाता है, किसी दिये गए वर्षा घटक के लिए प्रत्यक्ष सतही अपवाह की ...
  • अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुमार; राठौर, देवेंद्र सिंह (National Institute of Hydrology, 2015)
    आद्र भूमि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण प्रकृतिक संसाधन है। जलविज्ञानीय प्रक्रम में अपनी विशिष्ट भूमिका के कारण आद्र भूमि का संरक्षण अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय है।
  • Sachan, Shikha; Thomas, T.; Singh, R. M. (New Delhi Publishers, 2018)
    In India agriculture system mainly depends upon rainfall for their survival. Rainfall analysis is essential for water resources planning and management. An attempt has been made to carrying out the probability analysis ...

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